वृंदावन, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक धार्मिक और प्राचीन शहर है, जो यमुना के तट पर विराजमान है। इस स्वर्गीय नगर में भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन बिताया, और यही वह स्थान है जहां उनकी मनमोहक बाल लीलाएं समाहित हैं। यहां सदियों से ब्रजभाषा की मिठी ध्वनि यहां के हवाओ में बहती हैं, जो इस स्थान को और भी आत्मीय बनाती हैं।
यहां भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा रानी के 5000 से अधिक प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनमें इनकी पूजा हर दिन समर्पित रूप से होती है। इस पवित्र नगर का महत्व वेद, पुराण, और शास्त्रों में व्यक्त है, जिनमें यहां के आध्यात्मिक वातावरण का वर्णन किया गया है। यहां साधारिता से दूर, एक अद्वितीयता और रहस्यमयता का आभास होता है।
वृंदावन के एक सुंदर इलाके में स्थित श्री बांके बिहारी जी मंदिर, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वामी हरिदास द्वारा स्थापित किया गया था। स्वामी हरिदास ने निकुंज वन में रहते हुए श्री बिहारी जी की मूर्ति को स्वप्न में प्राप्त किया था, जिसके पश्चात सांवरी सूरत वाले श्री कृष्ण की मूर्ति पृथ्वी की गोद से प्रकट हुई।
बिहारी जी की प्रतिदिन की मंगला आरती इस मंदिर में एक अद्वितीय अनुभव है जो सौभाग्यपूर्ण है। वृंदावन का यह पवित्र स्थल यात्री दर्शन के लिए बहुत धन्य मानते हैं।
इस प्रमुख मंदिर की मूर्ति में अत्यंत मनमोहक प्रकाश छिपा है, जो श्री कृष्ण में राधा रानी के स्वरूप को दर्शाता।
2. राधा रमन जी का मंदिर:
यदि आप वृंदावन जाना चाहते हैं, तो आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में अवश्य जानना चाहिए।
राधा रमन जी मंदिर, वृंदावन का एक प्राचीन और मान्यता प्राप्त स्थल है। इस मंदिर का निर्माण लघभग 500 वर्ष पहले किया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु जी के स्वर्गवास के बाद, उन्होंने अपने भक्तों को गोविंद देव और मदन मोहन की सेवा करने का आदेश दिया था। उन्होंने अपने प्रिय गोपाल भट्ट को गंडकी नदी जाकर 12 शीलाएं लाने और उनकी पूजा करने का आदेश दिया था। गोपाल भट्ट ने आदेश का पालन करते हुए गंडकी नदी जाकर 12 शीलाएं लाईं, लेकिन एक दिन एक शीला लुप्त हो गई और उसके स्थान पर एक मूर्ति प्रकट हो गई। इसे वर्तमान में हम “राधा रमन” के रूप में पूजते हैं।
3. राधा वल्लभ मंदिर:
श्री राधाबल्लभ का अर्थ है ‘श्री कृष्ण की प्रिय देवी राधा’, इस मंदिर का प्रांगण अत्यंत सुंदर और मोहन है। माना जाता है कि श्री राधाबल्लभ जी के दर्शन बहुत दुर्लभ हैं और इन्हें देखने का सौभाग्य किसी को भी नहीं मिलता है, जब तक कि श्री बिहारी जी और श्री लाडली जी उन्हें बुला न लें।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर स्थित श्री राधाबल्लभ जी की मूर्ति को किसी मूर्तिकार ने कभी नहीं बनाया है। यह मूर्ति स्वयं अवतरित मानी जाती है। कहा जाता है कि आत्मदेव ब्राह्मण के पूर्वजों ने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने हृदय से एक दिव्य मूर्ति को प्रकट करके उन्हें प्रदान किया। आज भी हम उस मूर्ति को श्री राधाबल्लभ जी के रूप में पूजते हैं।
4. प्रेम मंदिर:
प्रेम मंदिर वृंदावन के अत्यंत खूबसूरत मंदिरों में से एक है जो सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर बांके बिहारी जी के मंदिर से स्थित है। यह मंदिर देवी राधा और श्री कृष्ण के पवित्र प्रेम को दर्शाता है।
इस मंदिर का निर्माण जगतगुरु श्री कृपालु जी महाराज ने किया है और यह 54 एकड़ की भूमि पर बसा है। निर्माण कार्य में लगभग 12 वर्ष लगे और इसे 14 जनवरी 2001 में शुरू किया गया, जो 17 फरवरी 2012 को पूर्ण हुआ। यह मंदिर इटालियन संगमरमर से निर्मित है और इसकी शैली राजस्थानी सोमनाथ गुजराती वास्तुकला पर आधारित है।
प्रेम मंदिर में राधा कृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित खूबसूरत झांकियां बनाई गई हैं, जो जीवंत सी लगती हैं। यहां पर गोवर्धन पर्वत की अत्यंत सुंदर झांकी है, जो कालिया नाग, कृष्ण माखन चोरी, कृष्ण द्वारा राधा जी का श्रृंगार, इत्यादि की अनेक अद्भुत झांकियों को प्रदर्शित करती हैं।
प्रतिदिन शाम 7:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक एक म्यूजिकल फाउंटेन (Musical Fountain) नाम का वाटर शो होता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करने का केंद्र है।
प्रेम मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए प्रातः 8:30 बजे से शाम आरती एवं भोग के साथ ही खोला जाता है और मंदिर की परिक्रमा शाम 7:00 बजे तथा संध्या आरती प्रतिदिन 8:10 पर प्रारंभ होती है।
5. श्री कृष्ण जन्मभूमि:
श्री कृष्ण जन्मभूमि, अर्थात “कंस का महल”, वही स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अपनी आदि गणना शुरू की थी। यह स्थान मल्लारा, मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
सन् 1670 में मुघल शासक औरंगजेब ने इसे नष्ट करके एक ईदगाह का निर्माण कर दिया था, जो कि आज भी स्थानीय है। मंदिर का पहला निर्माण संवत 1795 में हुआ था, और बारहवीं सदी में इसे पुनर्निर्माण किया गया, जो अत्यंत आकर्षक है।
6. निधिवन:
वृंदावन से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध प्राचीन गांव है, जिसे “निधिवन” कहा जाता है। इस गांव में विशाल तुलसी के पेड़ हैं, जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है की मानो वे कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन में झूम रहे हैं। निधिवन में असंख्य वृक्ष, बिना किसी जल स्रोत के पल्लवित होते हैं, जिसे श्री कृष्ण का अद्वितीय चमत्कार माना है। यहाँ के लोगों की ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्णा हर रात गोपियों के साथ यहां रास करने आते हैं और रात्रि के समय सभी वृक्ष उनके आगमन के साथ ही गोपियों में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां प्रतिदिन श्री कृष्ण के लिए लड्डू का भोग और जल रखा जाता है, जो सुबह खाया जाता है।
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