खजुराहो, भारत के मध्यप्रदेश राज्य में (छतरपुर) स्थित एक प्राचीन शहर है जो अपनी अद्वितीय संस्कृति और शैली के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु, और जैन धर्म से संबंधित हैं और इनकी जटिल कारीगरी और कामुक प्रतिमाएं सुशोभित हैं।
इसका का निर्माण चंदेल राजवंश द्वारा 950 से 1050 ईसा पूर्व हुआ था, और यहां पर 85 से अधिक अद्वितीय मंदिर थे, जिनमें से आज भी 25 मंदिर सुरक्षित हैं। इन मंदिरों की अद्वितीयता के लिए खजुराहो को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।
खजुराहो के 10 प्रसिद्ध मंदिर:
1.कंदरिया महादेव मंदिर:
यह मंदिर अपनी सुंदर शैली और अलंकारिकता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की कारीगरी संधार तथा सप्तरथ शैली पर आधारित है। कंदरिया शब्द का अर्थ ‘गुफा का देवता अर्थात कंदराओं के वासी से है जिसका सम्बन्ध भगवान शिव से किया गया हैं। कहा जाता है कि चंदेल शासक विद्याधर जो महादेव के परम भक्त थे उन्होंने महमूद गजनवी को पराजित करके इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान शिव का अत्यंत चमत्कारी शिवलिंग विराजमान है जो सफेद संगमरमर से निर्मित है और इस मंदिर में भगवान गणेश तथा अन्य देव दासियों की भी मूर्तियां स्थापित हैं।
2.लक्ष्मण मंदिर:
यह मंदिर अपनी सुंदर नक्काशी और पत्थरों पर बनी शैली के लिए जाना जाता है। इसे भारत का प्राचीनतम पत्थर तीर्थ स्थान कहा जाता हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है तथा मंदिर के प्रवेश में भगवान शिव, ब्रह्मा, और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान हैं।
3.चौंसठ योगिनी मंदिर:
यह मंदिर देवी शक्ति को समर्पित है और 64 योगिनियों को दर्शाता है। इस मंदिर का निर्माण दसवीं सदी में हुआ था जो 104 फिट ऊंचा और 64 फीट चौड़े प्रांगण में बना है। इस मंदिर में 64 योगिनियों थी जो माता काली की सेविकाएं थी, इसलिए इस मंदिर चौंसठ योगिनी को कहा गया है।
4.जवारी मंदिर:
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। जवारी मंदिर में जटिल और बारीक़ कारीगरी की गयी है जो पुरे विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।
5.मतंगेश्वर मंदिर:
यह खजुराहो का एक जीवंत मंदिर है, यह मंदिर अपने वास्तुकला, स्थापत्य कला तथा चंदेल संस्कृति के कारण यूनेस्को के विश्व विरासत सूची में सम्मिलित है। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकर प्रति वर्ष दो इंच से बढ़ता है जो अपने आप में एक चमत्कार है।
6.देवी जगदंबा मंदिर:
यह मंदिर समूह के पश्चिम दिशा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा गांड देव ने 11वीं सदी में किया था और यह माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भगृह में माता पार्वती की पत्थर के प्रतिमा विराजमान है।
7.पार्श्वनाथ मंदिर:
यह मंदिर खजुराहो के अन्य मंदिरों के समान सुंदर है और मंदिर के पूर्वी समूह में स्थित है। इसमें पार्श्वनाथ की प्रतिमा है जो खार पत्थर से निर्मित सिंहासन पर विराजमान है। यहाँ वायोवृद्ध, शिर्षतोरण तथा कृशकाय, ज्ञानवृद्ध तथा तपोधन अठारह दिगंबर मुनियों से वंदित अर्हत प्रतिमाएँ सुशोभित हैं।
8.ब्रह्मा मंदिर:
इस मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था, और यह सागर झील के तट पर स्थित है। इस रचना ग्रेनाइट और पलवा पत्थरों की गयी है। इसमें चतुर्मुख वाली भगवान ब्रह्मा की प्रतिमा है और गर्भ ग्रह में भगवान विष्णु की प्रतिमाएं हैं।
9.चतुर्भुज मंदिर:
यह छतरपुर के जातकारी गांव के निकट स्थित, खजुराहो मंदिर समूह में से एक प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इसमें गर्भ ग्रह में भगवान विष्णु की 9 फीट ऊंची प्रतिमा है। गर्भ ग्रह के बाहरी भाग में अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां पंक्ति में स्थित है।
10.वामन मंदिर:
यह मंदिर 62 मीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा है, जो भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित हैं। इसमें अर्धमंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह है, गर्भ ग्रह में भगवान विष्णु की 9 फीट ऊंची प्रतिमा स्थित है। और इसमें अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
खजुराहो के इन मंदिरों की सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, और वास्तुकला ने इसे एक अद्वितीय सांस्कृतिक स्थल बना दिया है जो विश्व भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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